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Showing posts from March, 2021

अब तो कोई गीत लिखो जी

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अब तो कोई गीत लिखो जी  मेरी खातिर  मुझको भी मनमीत लिखो जी मेरी खातिर  इस मुखड़े को चाँद लिखोगे तो क्या होगा  आज नया इक रीत लिखो जी मेरी खातिर  लम्बी चौड़ी कविताई से     क्या होता है  अब कोई नवगीत लिखो जी मेरी खातिर  नाज करें जनगण जिस पर ऐसा कुछ लिखना  मधुर मधुर संगीत लिखो जी मेरी खातिर  पगपग में   सब कुछ हारा   तुमने औ हमने  अब तो कोई जीत लिखो जी  मेरी खातिर  प्रेम प्रीत में हार जीत अब मत लिखना तुम  जीवन सफल व्यतीत लिखो जी मेरे खातिर                  🙏 *सुरेश पैगवार*🙏                            जाँजगीर

कोरोना वायरस पर दोहे

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~~~~🌹 *कोरोना पर दोहे*🌹~~~~ कोरोना के वायरस,       कर न सकेंगे घात। जाग्रत रहकर आप भी,    दे सकते हैं मात।। कोरोना को मात दें,      अपनों को ले साथ। शासन के निर्देश को,       लेवें अपने माथ।। कोविड योद्धा ही सभी, इस युग के भगवान। जब तक ये सब साथ दें,     बचे रहेंगे प्रान।। स्वच्छ रखें घर आँगना, स्वच्छ रहें सब लोग। शारीरिक दूरी रखें,           टले तभी दुर्योग।। साबुन से धोते रहें,          अपने दोनों हाथ। मास्क ढँकें मुख पर सदा, रहें सुरक्षित साथ।। नाक मुँह ढँककर रखें,       रहें भीड़ से दूर। खान पान सब गर्म हो,      नींद रहे भरपूर।। हो सीने में दर्द या,        खाँसी   सर्दी  होय। कोविड जाँच कराइये, बिना समय को खोय।। सीने में जकड़न लगे,    करो नहीं जी भूल। आक्सीजन लगवाइये,स्वांस रहे जब फूल।। कोरोना के नाम पर,      महँगाई की मार। मजदूरी मिलती नहीं,...

कारी घटा घनघोर

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~~~~~ 🌹 *गीत* 🌹~~~~~ कारी घटा घनघोर, सुहानी मन भावन।। रिमझिम-रिमझिम, सावन बरसे बिरहिन का मन, मिलने तरसे बिजुरी दिखे चहुँ ओर- - - -सुहानी - - -  ताल तलैया, भर-भर जावैं दादुर टर्-टर् शोर मचावैं, धरती है सराबोर - - - सुहानी  - - - - ढोलक झाँझ मँजीरा बाजे मोरा मनुवा झूमें नाचे वन बीच नाचै मोर - - - - - - -- सुहानी - - - - - एकाकी मन पल-पल तरसे मन खाली है कैसे  हरसे बँधे मेरा भी  डोर  - - - सुहानी  - -   कारी घटा घनघोर  - - - -!!                   🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                             जाँजगीर

आओ मेरे साथ आओ

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~~~~~~🌹 *गीत* 🌹~~~~~~ आओ मेरे साथ आओ,      गीत गाते हम चलें गाओ तुम भी गुनगुनाओ,   गुनगुनाते हम चलें तुम अकेले ही चले तो,     राह में थक जाओगे साथ में साथी रहे तो,        दूर तक हो आओगे मन मगन रहता है तब तक,     दर्द होता ही नहीं गीतों के सरगम से तुम भी, गन्ध मोहक पाओगे हाँ  ये जैसी हो जी दुनिया,   मुस्कुराते हम चलें सोच अपनी होअलग पर दिल मिलाते हम चलें बँधें नहीं कोई बँध से,     साँचे में हम क्यों  ढलें बन तरल रहना सरल अब,    एक ढर्रे क्यों चलें बात सुन लें फिर से गुन लें फिर उसे अनुमान कर कुछ भी कह लें सारी दुनिया, हाथ अपना क्यों मलें धीर रख पग को बढ़ाएँ,      हँसते गाते हम चलें पीर रख कर मुस्कुराएँ,         मुस्कुराते हम चलें                                  🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏           ...

बाबा साहब की जयंती पर विशेष

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बाबा साहब की जयंती पर शुभकामना संदेश- - - 🙏💐💐💐💓💐💐💐🙏 फूल अनेकों हैं गुथे,        पर धागा है एक। संविधान वह जोड़ है,     देश बनाता नेक।। संविधान इस देश का,  है सब से अनमोल। जाति, धर्म, समुदाय सब, मानें इसके बोल।। बाबा साहब का दिया,      संविधान है सार। स्वतंत्रता,समता मिले,  सबका है अधिकार।।      भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीम राव अम्बेडकर को शत-शत नमन!*                               🙏  *सुरेश पैगवार*🙏                       जाँजगीर

नेता हमर मिठलबरा हे

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नेता हमर    मिठलबरा हे बाँचे रइहा    बड़ चबरा हे ऊपर चढ़िस  पँदोली मँ ये गिरही देखव लड़भसरा हे हमर थोकुन आरो लेतिस काबर एहर   घरखुसरा हे निच्चट करिया दिखय पहिली काजू किसमिस  मँ पकरा हे काम करे म     तस्मई पाही नइ करही त   फेर थपरा हे                  सुरेश पैगवार                     जाँजगीर

हिंदी भाषा मानिए

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हिंदी दिवस के अवसर पर प्रस्तुत है कुण्डलिया             🌹 *कुण्डलिया* 🌹 हिंदी भाषा मानिये, इस जग का सिरमौर। देना होगा आप को,  हिय में अपने ठौर।। हिय में अपने ठौर , देश का भाग जगाओ। सभी करें सम्मान, नियम ऐसे कुछ लाओ। कह सुरेश कवि राय,   बने माथे की बिंदी। भारत माँ की शान, रहे जी सब की हिंदी।।                                (2) हिंदी को पहचान दें,       हिंदी को दें मान। भारत देश महान है,      करें सदा सम्मान।। करें सदा सम्मान,       मोह अंग्रेजी  त्यागें। निज भाषा रख ध्यान,समय है अब तो जागें। मस्तक में धारण करें,   जस माथ की बिंदी। भरे एकता रंग,        सबल बन भाषा हिंदी।।                  (3) भाषा सरल सबल यहाँ, सरल सहज सब लोग। सब को अपना जानकर,करें अथक सहयोग।। करें अथक सहयोग,       तभी तो बने अ...

है किसकी दुआओं में कितना असर देखते हैं

माना पहले व्यापारी था

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~~~~~🌹 *सजल* 🌹~~~~~ समांत- आरी पदांत- है मात्राभार- 30 मात्रा पतन- * माना पहले व्यापारी था,     अब तो वह पटवारी है  चिंता की अब बात नहीं, हर चीज यहाँ सरकारी है   कैसे होगी चोरी, कोई    करता क्यों विश्वास नहीं चप्पे-चप्पे में देखो             चोरों की पहरेदारी है जो होता है वो होने दो, तुम भी चुप तो मैं भी चुप तेरी भी लाचारी है तो,           मेरी भी लाचारी है व्यर्थ बात में क्यों फँसता है, अब काहे का रोना है माना कड़वी घूंट है* लेकिन,दवा बहुत गुणकारी है लगता तुमको सोते होंगे,   नर्म -नर्म इन गद्दों पर दोधारी तलवार यहाँ,     शेरों की यहाँ सवारी है  शेर कि चीते कुत्ते बिल्ली,   चाहे जिससे है यारी यमपुर के रस्ते से बचने में         भारी दुश्वारी है खाते हैं वे खूब मुनाफा,  खाद बीज औ पानी में बोने से लेकर बिकने तक,कदम -कदम व्यापारी है                       ...

दर दर भटको इससे तो

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~~~~~🌹 *सजल*  🌹~~~~~ समांत- आना पदांत- अच्छा है मात्राभार- 30 मात्रा पतन - नही दर -दर भटको इससे तो अपना घर जाना अच्छा है रूखी- सूखी खा कर भी दिन यहीं बिताना अच्छा है  हाथ हमारा जगन्नाथ होता है मित्रो यह जानो  बंजर भू हो फिर भी  अन्न यहाँ उपजाना अच्छा है  बात- बात के लिए दूसरों को क्यों कोसें कुछ सोचें  एक जून भी मेहनत की रोटी हो, खाना अच्छा है अम्बर ने जितने सुख बाँटें हैं वे  सब,सब के  ही हैं वंचित को भी उसका सब अधिकार दिलाना अच्छा है मुखड़े पर  मुस्कान सदा रखना अच्छा तो है लेकिन औरों के दुख में भी थोड़ा, अश्रु बहाना अच्छा है।।                    🙏 *सुरेश पैगवार*  🙏                         जाँजगीर

इस दुनिया को बोलो कितना खार करेंगे

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सजल समांत- आर पदांत- करेंगे मात्रा भार- 24 मात्रा पतन- * इस दुनिया को बोलो कितना खार करेंगे। हम अपनों पर कितना   अत्याचार करेंगे।।  आज सड़क के अगल-बगल  पत्थर हैं कितने,  पत्थर से क्यों, व्यर्थ   किसी पर वार करेंगे।। जीत रहें हैं दिल हम      मीठी बातें कर के हम अब  कड़वा बोल बोल क्यों  रार करेंगे।। इस  दुनिया  की सोच सोच कर बातें प्यारे, तन अपना  क्यों भला रोज बीमार करेंगे।।   हम पहले से, त्रस्त गरीबी      बेकारी से अब इनका बोलो कैसे      बढ़वार करेंगे।।         🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                   जाँजगीर

माँ से रहता अनमना

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~~~~🌹 *दोहा सजल*  🌹~~~~ समांत- नही पदांत- ऐर मात्राभार- 24 मात्रा पतन- नही माँ से रहता अनमना, रहा पिता से बैर। ऐसे बेटे का भला,     कौन मनाए खैर।। फिरता चारो धाम है, फिर भी बिगड़े काम ईश्वर भी कहता उसे,   करते रहो न सैर। मानव होकर मानवी,  पढ़े नही जब पाठ तभी यहाँ लगते तुम्हें, सब अपने भी गैर बेमतलब के यार हैं,    बेमतलब का प्यार यदि ऊँचाई पर चढ़े,       खीचें सब ही पैर माँ की ममता कर्ज है, वह है तुम पर भार जितना सकें चुकाइये, इसको देर सबेर।।                   🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                             जाँजगीर

समय नहीं है - - -

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एक "गीत" सीमा के प्रहरियों के लिए शांति गीत का समय नहीं है,  अभी समर का गान करो, गीतकार संगीतकार तुम,     वीरों का सम्मान करो।। जिनने  प्राणों को न्यौछावर, कर माटी का मान रखा। तन मन जीवन सब अर्पण कर,  भारत का अभिमान रखा। ऐसे वीरों की गाथा का,  ऊँचे स्वर में गान करो। गीतकार संगीतकार तुम,   वीरों का सम्मान करो।। प्रहरी है उत्तुंग हिमालय,     सागर भी सब हैं गहरे फौलादी सैनिक हैं न्यारे,       देते सीमा पर  पहरे। बारिश,बर्फ , तोप की ध्वनि का   थोड़ा तो अनुमान करो। गीतकार संगीतकार तुम,   वीरों का सम्मान करो।। ताकत जागे उन वीरों का,      गीतों में हुंकार भरो। देश प्रेम हो सबसे बढ़ कर,   ऐसा तुम झंकार करो। रौद्र रूप दुश्मन का झेले, उनपर तो अभिमान करो। गीतकार संगीतकार तुम,     वीरों का सम्मान करो।।                                          ...

जिंदगी की बाँह को मैं

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~~~~~~~🌹 *गीत* 🌹~~~~~~ जिंदगी की बाँह को मैं      थाम कर चलता रहा हूँ  मृत्यु के आँचल में तुम क्यों, मुँह छिपा कर चल दिये।  प्रार्थना के स्वर अधूरे, आज    मेरे  हो गये राह को हम फूल माँगे,        लोग काँटे बो गये. दीप मैंने भी जलाया,     अब उजाला आयगा क्या पता था यह अंधेरा, उम्र भर तड़फायगा। दूर कुछ तो साथ चलते,    बीच रस्ते छल दिये मृत्यु के आँचल में तुम क्यों, - - - - - - - - - - - इस जनम के बाद भी क्या, राह में मिल पाएँगे ये चमन के फूल सारे, फिर से क्या खिल पाएँगे तितलियों की ही तरह रिश्ते, डोर नाजुक हो गये लौट आओ तुम प्रिये किस, राह में तुम खो गये। इस मधुर संबंध में क्यों कर उदासी मल दिये मृत्यु के आँचल में तुम क्यों, - - - - - - - - - -                   🙏  *सुरेश पैगवार* 🙏                              जाँजगीर

उड़ो कभी तो

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~~~~~~🌹 *गीत*  🌹~~~~~~ उड़ो कभी तो ऐसे उड़ना,          जैसे उड़े पतंग। डोर जुड़े जो अनुशासन की,   तब जीतोगे जंग।। लाभ हानि जीवन के रण में,  रहे कभी ना झूठ हार जीत का खेल अगर हो,  अपनों को दें छूट देख विधाता जीवन दाता,      भी हो जाये दंग।। उड़ो कभी - - - - - - - -, त्याग तपस्या से ही होती,      जीवन नदिया पार परहित का जो ध्यान रखेंगे,    सुखी रहे परिवार चाहत ज्यादा रखो नहीं पर,   होना कभी न तंग।। उड़ो कभी - - - - - - - -, छोड़ व्यर्थ की सब बातों को, तुम बगराना प्रीत लाँघ न जाना मर्यादा को,     रहो सदा मन मीत अंतर्मन निर्मल होवे तो,      जग चलता है संग।। उड़ो कभी  - - - - - - - -,                                                               🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏         ...

धधकता छाती मोर छत्तीसगढ़ी गीत

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~~~~~~🌹 *रोला छंद*  🌹~~~~~ धधकत छाती मोर,   अरे तन हा गुँगुवाथे। मिले ओर ना छोर, जीव हा डबकत जाथे।। कँदवा खागे गोड़,  कमा के कतका लावौं। तन म अमागे रोग, कहाँ ले ओखद पावौं। अरजी हावय मोर,   गोठ ला सुनलव भाई। सरग चढ़त हे भाव,   रोक लव दाम दवाई। तपथे जइसे जेठ,   घाम जी अबड़ दुखाथे। कीमत सुनके आज, हमर तो मुहूँ सुखाथे।। सबके खाली हाथ,करत हम महिनत कतको। आय पसीना माथ,भले छइहाँ हे जतको।। रोटी पानी खोज,   गुजर जाथे जिनगानी। महिनत करथन रोज,जानलव इही कहानी।। हन ठन ठन गोपाल, भूख मा तन अँइलागे। गुखरू होगे पाँव,    देखलव मन मइलागे।। नँगा नँगा अधिकार, खात हें नँगत कसाई। देवँय कोन धियान,  बढ़य ना हमर कमाई।। होबो जभे  सुजान, तभे किस्मत हा भाही। भूख गरीबी छोड़,  हमर घर ले जी जाही।। सच्चा साथी ज्ञान,   छोड़ कभ्भू नइ जावै। पढ़ लिख होय सुजान,भाग ला अपन बनावै।। सजही जिनगी तोर,   ज्ञान अक्षर ला पाके। छटपट छँइहा छोड़, गुजर जाबे पछता के।। भारी लूट खसोट,  जगत मा अवगुन चारी। शिक्षा मारय चोट,  ...

जीवन है वरदान तुम्हारा

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~~~~~~🌹 *गीत* 🌹~~~~~~~ जीवन है वरदान तुम्हारा,       जीवन है वरदान परहित काज करें ,उनका तो जीवन है वरदान हाथ बाँध के खड़े मत रहो   क्यों करते हो शोर कुछ करना है कुछ भरना है, लगा-लगा के जोर धरती पुत्र सभी दीवाने ,           देते अपनी जान। जीवन है वरदान- - - - - - - - - - -, लोभी मोही बहुत मिलेंगे,     बिरले अच्छे लोग मिल जाते अनजान जगह में, जिनको है ये रोग मातृभूमि की खातिर वे ही,  होते हैं कुर्बान। जीवन है वरदान- - - - - - - - - - -, मानवता को धारण करना,  करो नही अब भूल प्रेम नही उपजे तो कोई,       मत उपजाना शूल भारत की गरिमा को देना, हरदम भारी मान।। जीवन है वरदान- - - - - - - - - - -,               🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                          जाँजगीर

छत्तीसगढ़ी गीत "कतको हावय ये दुनिया म "

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- - - - - - - -🌹 *सार छंद* 🌹 - - - - - - -                        (16- 12) कतको हावँय ये दुनिया मा, बिगड़ी बात बनइया। कतको हावँय ये दुनिया मा, लिखरी बात गनइया।। कतको मिलहीं राही तोला, कोनो झन भटकावँय कतको सँग मा तोरे  जाहीं, कोनो झन अटकावँय कतको हावँय ये दुनिया मा, लिख ला लाख करइया कतको हावँय ये दुनिया मा,  ज्ञानी, ध्यानी भइया।। कतको- - - - - कतको लाँघन कतको प्यासे, राही बन के आहीं कतको मनखे तोला डरहीं,  कतको मन डरवाहीं कतको हावँय देख-देख के,      भुर्री सहीं बरइया कतको मनखे बल देहेबर,     करहीं हइया-हइया।। कतको - - - - कतको मनखे मोती खोजें,   कतको खोजें हाला। कतको मनखे दिव्य ज्योति बर,फेरत रहिथें माला।। कतको रहिथें ये दुनिया मा,     हपटे गिरे उठइया। कतको मनखे अइसे रहिथें,   जइसे रहिथे गइया।। कतको - - - - मनखे कतको लबरा मिलहीं, कतको मिलहीं सच्चा। कतको मनखे बात-बात मा,     देवत फिरहीं गच्चा। सावचेत तोला रहिना हे,  ...

जा रे कोरोना

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- - - - - - - - *गीत*- - - - - - - - जा रे कोरोना, कोनो ला हो ना, जा रे कोरोना, रे  - - - - - 2  जा रे जा रे जा रे कोरोना, जा रे जा रे जा रे कोरोना, जा रे कोरोना, कोनो ला हो ना, जारे कोरोना, रे - - - - -  - 2                                                   (1) गजब पदोये नान्हें कीरा,  जन-जन ला दे डारे पीरा, माटी कर डारे तन हीरा, होगे हावे प्रान अधीरा, रे- - - 2  छोड़ बिटोना, ये रे गड़ोना, बैरी कोरोना रे- - - - - 2                        (2) माहामारी जस बगरत हावै, लाखों घर अब उजरत हावै, लोगन भीतर खुसरत हावै,  लगथे रिसाय कुदरत हावै, - - -2 झन तैं बुड़ोना, जीव चुरोना, बैरी कोरोना, रे- - - - -2                                               (3)  ...

कैसे कोई गीत लिखूँ

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~~~~~~🌹 *गीत* 🌹~~~~~~ कैसे कोई गीत लिखूँ जो, सबके मन को भाए तेरा मन अकुलाये  साथी,  मेरा मन  अकुलाए।। दवा बहुत है दुआ बहुत है,  कोई काम न आए कैसे  लेखूँ कोई कविता,     बिंब मुझे भरमाए। थर -थर -थर -थर काँपे तन-मन, घूमें धरती गोल गर्व करूँ कैसे इस तन पर,      है मिट्टी के मोल। विश्व शांति  की राह चला हूँ,   पर मन क्यों घबराए किन शब्दों को साथ रखूँ जो  शुभ-शुभ अर्थ बताए कैसे कोई- - - जिसको देखो खुद में गुम है,   साँझ सकारे भोर बाँध रही उन्मुक्त हवाएँ,        औ पंछी का शोर पर अपने ही आँगन में भी,      सूने- सूने  बोल राज पाठ के सभी खिलौने,     बजते जैसे ढोल। सोया -सोया सकल जहाँ है,  मन दुख में दुबलाए आज सभी का मन व्याकुल है दुखड़ा कौन सुनाए।। कैसे कोई - - -                          🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                     ...

अंगारों पर चलता हूँ मैं

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---------------क्रान्ति वीर ----------                  (कविता) अंगारों पर चलता हूँ मैं  शोलों-सा मैं   दहता हूँ, हिन्द देश का मैं सपूत हूँ मन दर्पण-सा रखता हूँ। मेरे सीने में ज्वाला है  मेरी  बाहों में    शोले, इस धरती पर मर मिट जाऊँ मन मेरा बम-बम  बोले। ऐसा  समर   मचाऊँगा मैं दुश्मन भी थर-थर काँपे, इस सीमा से उस सीमा तक  कभी नहीं फिर वो  झांके। चट्टानों सा लिए हौसला जब आगे मैं   बढ़ता हूँ, नए जोश से नयी दृष्टि से नयी राह मैं   गढ़ता हूँ। मेरी आँखों में झाँको तुम  क्रोधित मेरा तन देखो, दहक रहा अंगारों जैसा कितनी भरी अगन देखो। आग लगा दूँगा  मैं दुश्मन के सब दुष्ट इरादों को, धूल चटा  दूँगा  मैं  उसके आतंकी    बटमारों को। भारत की रक्षा की खातिर  मैं कुर्बानी दे   दूँगा, चक्रव्यूह को दुश्मन के मैं अभिमन्यू  -सा   भेदूँगा मैं अब कभी नहीं बिखरूँ...

छत्तीसगढ़ी गीत चंदा के गोठ म

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~~~~~🌹 *गीत* 🌹~~~~~ (छत्तीसगढ़ी भाषा में) चंदा के गोठ सुन    चंदैनी आगे बादर के ओट ले जिवरा जुड़ागे फिटिंग अँजोरी हे,      पुन्नी के रात हे चिटिक अगोर ले बे,   डाहर के बात हे सँगे मा रहि जातेन,    बन के सँगवारी अन्तस्  म मन मोरे कुलकत हे गात हे जब ले देखेंव मोर   मन मोहागे जिनगी के खोट सब मोर मुंदागे आ जाबे बनठन के, दुलहिन कस रानी सगरो दिन तोर मोर हे,  अमर कहानी मावस के रात घलु,  करिहौं  मैं अगोरा   सुन्ना झन होवै वो,      हमरो जिनगानी संसों के बदरी ह,    तुरते उड़ागे उज्जर लुगरा म अब जोगनी जड़ागे।।           🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                     जाँजगीर

बाल गीत

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                                            छन्न पकैया                     (बाल कविता)  छन्न पकैया छन्न पकैया,     आजादी की आँधी। गोरों की ताकत को बाँधी, हम सब के हो गाँधी।। छन्न पकैया छन्न पकैया,    जग में पीटा डंका। अंग्रेजों को दूर भगा के, हर ली सबकी शंका।। सीधा सादा वेश तुम्हारा,      पहने रहते धोती। अगर नहीं आते इस जग में, भारत माता रोती।। छन्न पकैया छन्न पकैया, क्रांति देश में ला दी। सादा जीवन उच्च विचारों, के थे अपने गाँधी।। छन्न पकैया छन्न पकैया, उनके तीनों बंदर। देखे सुने न बोलते बुरा, राखे अपने अंदर।। छन्न पकैया छन्न पकैया,   काहे की लाचारी।  मिलें जुलें  हम साथ रहेंगे, हारें अत्याचारी।। छन्न पकैया छन्न पकैया,  देश हमारा चमके। मीठी होवे बोली भाषा, मुख मंडल भी दमके।। छन्न पकैया छन्न पकैया, विपदा सभी हरेंगे। खूब पढ़ेंगे, खूब लिखेंगे,...

गजब पुरातन नगरी भइया- जिले का बखान गीत

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*"जाँजगीर एक ऐतिहासिक पुरातन नगरी"*     🌹(आल्हा छंद म बखान)🌹 गजब पुरातन नगरी भइया,  जाँजगीर हे जेकर नाम। गौरवशाली वैभव सुनलौ, जाज्वल्य देव के ये धाम।। साहित,संस्कृति अउ कला जी, धरम-करम मा हे पहिचान। आदर भाव भरे हिरदे मा, मनखे हावँय बड़े सुजान।। ज्ञानी ध्यानी इहाँ भरे हें,    दूर देश तक फइले नाम। मंत्र आरती ईश प्राथना,   होवत रहिथे सुबहो शाम।। बस्ती बीच म देवी दाई, चँदवा बइगा के दरबार। भिम्भा तीर के बिष्नु मंदिर, रहिथे जी हरदम गुलजार।। कोसा, काँसा, कंचन चाम्पा, शिवरी -नारायन हे धाम। जिहाँ बिराजे सौंरिन दाई,   राम दरस के मिले इनाम।। रामभक्ति मा सौंरिन दाई बछर-बछर ल दिहिन गुजार। महानदी के तट मा बइठे,   रद्दा देखिन आँसू ढार।। मन मा मूरत सियाराम के, तन म फरिया हे लपटाय। आतम ज्ञान सौरि के गहना, दिव्यज्ञान के जोत जलाय।। गज अहिरन चोरनइ तान झिंग,जटाशंकर उतेगसहाय। हसदो के संगवारी नदियाँ,  महानदी मा जाय समाय।। महा नदी के अमृत धारा,   राम आचमन जेकर पाँय। जेकर तट मा बइठे सौरिन, राम ल जूठन बेर खवाँय।। माता सीता लक्ष्मण भइया, ...

मुझको गंगा कहने वालों

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~~~~~~ 🌹  *गीत*  🌹 ~~~~~~ मुझको गंगा कहने वालों,        गंगा नहीं बनूँगी मैं  भले बना दो बोझिल नदिया, अपनी धार बहूँगी मैं पाप करो तुम औ मैं धोऊँ, इतनी भली नहीं बनना, वैतरणी कह मुझे पुकारो,     इतना छली नहीं बनना,    गंदे नाले मिला रहे हो,      कैसे सभ्य कहाते हो, आसमान में उड़ने वालों,   क्यों अपशिष्ट बहाते हो, चाहे तुम पूजो ना पूजो,     सत्पथ नित्य चलूँगी मैं भले बना दो - - - पवित्रता कब तक कायम रख, मैं ही लाज बचाऊँगी, उच्च हिमालय की बेटी मैं ,  कब तक दौड़ लगाऊँगी, धो-धो क्यों मैली होऊँगी, सब के अनगिन पापों को, मैं ही क्यों भोगूँगी सब के,    कर्मों को, संतापों को कुछ तो चलन सुधारो अपनी, कितना और सहूँगी मैं भले बना दो - - - रक्त सने हैं हाथ तुम्हारें,      औ मीठी बतियाते हो, लायेंगे इक नया सवेरा,        कसमें झूठी खाते हो, हथियारों की फसल उगाते, मर्यादा का ध्यान नहीं नारी पर है गिद्ध दृष्टि क्यों, करते हो सम्मान नहीं सौदागर हो तुम अबला के,...

रक्षाबंधन गीत

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                      गीत               🌹 *गीत* 🌹                  "रक्षा बंधन"   आओ मंगल थाल राखी की सजायें नेह के    बंधन के     मीठे गीत गायें बहनों से कह दो कि रक्षा हम करेंगे आँच आये गर उन्हें तो    हम लड़ेंगे इनके इक मुश्कान पे जीवन लुटायें, नेह के  - - - - जिनके हाथों में  नहीं यह प्रेम धागा इस जहाँ में है वो बिल्कुल ही अभागा उनके हिरदे में भी  श्रद्धा हम जगायें नेह के - - - - बाग में कोई फूल ना   इनके सरीखा खुशियाँ बरसाना ही बस बहनों ने सीखा खुद पढ़ें और खूब इनको भी पढ़ायें नेह के  - - - प्रेम के इस  पर्व को हम     ना भुलायें फर्ज अपना भाई का हम सब निभायें आओ मिलकर प्रेम का दीपक जलायें, नेह के, बंधन के  - - - - - -!!       🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                जाँजगीर

गीत जो थे साथ अपने

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                    गीतिका छंद में                       मानक  गीत  जो कभी थे साथ अपने, आज छलते जा रहे दीप हो कर, कर अँधेरा, खुद उजलते जा रहे - - तोड़ कर वो आज रिश्ता, छोड़ चलते जा रहे इस जहाँ से किस जहाँ में, वो पिघलते जा रहे रोक कर पूछो कि कैसे,    हम रहें उनके बिना छोड़ कर किसके सहारे,    रोज ढलते जा रहे - - - जो कभी - - - - - - - - - - , आज की  बेला यहीं पर,  हो सके तो  रोक लो हे विधाता आज अपने, जल जले को रोक लो वो समय धीरे चलो रे,       आहटें पहचान कर तोड़ कर रिश्ता हमीं से,     वो बदलते जा रहे - - - जो यहाँ - - - - -  - - - - - -, कुछ नहीं सीखा अभी मैं,  कुछ नहीं जाना अभी कुछ न पाया इस जहाँ से, कुछ नहीं  ठाना अभी कोशिशें बस कर रहा हूँ,        गा सकूँ संगीत पर क्यों न जाने छोड़ मुझको ,   साज छलते जा रहे जो कभी- - - - - - - - - - - -,       ...

हास्य गीत- गोरी हो या काली हो

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😁🤓😃 *हास्य गीत* 😃🤓 गोरी हो या      काली भेजो, घर मेरे        घरवाली भेजो, थोड़ी तो   खुशहाली  भेजो, इतनी मत    बेहाली   भेजो।। मैं भी कब तक रहूँ अकेला, जल्दी इक दिल वाली भेजो - - - - --! 🌲🌳🌚🌳🌲 भेजोगे  तो    आली   भेजो, थोड़ी सी    मतवाली  भेजो, अगर साथ में भेज सको तो, इक प्यारी सी  साली  भेजो।। कब तक   होगा रो ना  धोना, खुशियों की इक प्याली भेजो - - - - - -! 🌲🌳⛄🌳🌲 दिल्ली की दिल वाली भेजो, या लड़की    बंगाली   भेजो, अगर यहाँ  ना  दाल गले तो, चीनी  या  नेपाली      भेजो।। अल्टो वल्टो  खूब चढ़ा मैं अब  फर्र्राटे    वाली   भेजो - - - - - - - ! 🌲🌳🌝🌳🌲 कड़की ना   कंगाली  भेजो, सौ सोने की    थाली  भेजो, भेज सको तो  शीघ्र भेजना, कुछ तो ठाठ निराली भेजो।। फाँके में जीना क्या जीना, जोरू  दौलत  वाली भेजो - - - -।।।...

हास्य गीत

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😁🤓😃 *हास्य गीत* 😃🤓😁                सुरेश पैगवार की कलम से- - - - *गोरी हो या      काली भेजो,*  *घर मेरे        घरवाली भेजो,* *थोड़ी तो   खुशहाली  भेजो,* *इतनी मत    बेहाली   भेजो।।* *मैं भी कब तक रहूँ अकेला,* *जल्दी इक दिल वाली भेजो - - - - --!* 🌲🌳🌚🌳🌲 *भेजोगे  तो    आली   भेजो,* *थोड़ी सी    मतवाली  भेजो,* *अगर साथ में भेज सको तो,* *इक प्यारी सी  साली  भेजो।।* *कब तक   होगा रो ना  धोना,* *खुशियों की इक प्याली भेजो - - - - - -!* 🌲🌳⛄🌳🌲 *दिल्ली की दिल वाली भेजो,* *या लड़की    बंगाली   भेजो,* *अगर यहाँ  ना  दाल गले तो,* *चीनी  या  नेपाली      भेजो।।* *अल्टो वल्टो  खूब चढ़ा मैं* *अब  फर्र्राटे    वाली   भेजो - - - - - - - !* 🌲🌳🌝🌳🌲 *कड़की ना   कंगाली  भेजो,* *सौ सोने की    थाली...

छत्तीसगढ़ी गीत- सुन मितानी गोठ सँगी

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सुन मितानी गोठ संगी, मोर कहना मान रे जोरबे तैं टोरबे झन,   छोड़ दे अभिमान रे बाँट बे झन काटबे झन,  चीथ बे झन कोंचबे का मिलिस हे तोर बर रे, तैं अपन झन सोंचबे जीव ला तैं झन दुखाबे, सब ल अपने जान रे दुख परे मा काम आबे,        देत हौं मैं ज्ञान रे दीन के तैं संग दे के,      सुख समें ला लानबे गाँव बस्ती साथ रखबे,  सब ल अपने जानबे चार दिन के हे जुवानी,    सुत न गोड़ी तान रे कर कमाई जोर भाई,     आज कर ले ध्यान रे                                 सुरेश पैगवार                                      जाँजगीर

आओ मिलकर साथ चलें हम - नवगीत

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🌲🌹 *नव गीत* 🌹🌲              आओ मिलकर साथ चलें हम, गाते हुए तराने। एक राह के राही हम तुम, फिर क्यों चाकू तानें।। समय चक्र ने घेरा हमको, क्यों न दिखायें हम भी दम को, हममें  भी तो     खुद्दारी  है, चलो मिटाएँ मिलकर तम को। साथ रहेंगे साथ मरेंगे बात यही सब मानें।। रोटी दाल सवाल अभी है, देखो बहुत बवाल अभी है, बच्चा मरा दवा  बिन कैसे अस्पताल ये हाल अभी है। जब तक सम सुख भाग न होंगे, हार हमीं क्यों मानें।। पैनी  अपनी  धार करेंगे, पत्थर पर भी वार करेंगे, आता हमें नहीं है रुकना, एक रूप  संसार   करेंगे। रुकती झुकती कलम नहीं है, बल इसकी पहचानें।।                                🙏  *सुरेश पैगवार* 🙏                    जाँजगीर