माँ से रहता अनमना
~~~~🌹 *दोहा सजल* 🌹~~~~
समांत- नही
पदांत- ऐर
मात्राभार- 24
मात्रा पतन- नही
माँ से रहता अनमना, रहा पिता से बैर।
ऐसे बेटे का भला, कौन मनाए खैर।।
फिरता चारो धाम है, फिर भी बिगड़े काम
ईश्वर भी कहता उसे, करते रहो न सैर।
मानव होकर मानवी, पढ़े नही जब पाठ
तभी यहाँ लगते तुम्हें, सब अपने भी गैर
बेमतलब के यार हैं, बेमतलब का प्यार
यदि ऊँचाई पर चढ़े, खीचें सब ही पैर
माँ की ममता कर्ज है, वह है तुम पर भार
जितना सकें चुकाइये, इसको देर सबेर।।
🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏
जाँजगीर
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