दर दर भटको इससे तो
~~~~~🌹 *सजल* 🌹~~~~~
समांत- आना
पदांत- अच्छा है
मात्राभार- 30
मात्रा पतन - नही
दर -दर भटको इससे तो अपना घर जाना अच्छा है
रूखी- सूखी खा कर भी दिन यहीं बिताना अच्छा है
हाथ हमारा जगन्नाथ होता है मित्रो यह जानो
बंजर भू हो फिर भी अन्न यहाँ उपजाना अच्छा है
बात- बात के लिए दूसरों को क्यों कोसें कुछ सोचें
एक जून भी मेहनत की रोटी हो, खाना अच्छा है
अम्बर ने जितने सुख बाँटें हैं वे सब,सब के ही हैं
वंचित को भी उसका सब अधिकार दिलाना अच्छा है
मुखड़े पर मुस्कान सदा रखना अच्छा तो है लेकिन
औरों के दुख में भी थोड़ा, अश्रु बहाना अच्छा है।।
🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏
जाँजगीर
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