मुझको गंगा कहने वालों

~~~~~~ 🌹  *गीत*  🌹 ~~~~~~

मुझको गंगा कहने वालों,        गंगा नहीं बनूँगी मैं 
भले बना दो बोझिल नदिया, अपनी धार बहूँगी मैं

पाप करो तुम औ मैं धोऊँ, इतनी भली नहीं बनना,
वैतरणी कह मुझे पुकारो,     इतना छली नहीं बनना,
  
गंदे नाले मिला रहे हो,      कैसे सभ्य कहाते हो,
आसमान में उड़ने वालों,   क्यों अपशिष्ट बहाते हो,

चाहे तुम पूजो ना पूजो,     सत्पथ नित्य चलूँगी मैं
भले बना दो - - -

पवित्रता कब तक कायम रख, मैं ही लाज बचाऊँगी,
उच्च हिमालय की बेटी मैं ,  कब तक दौड़ लगाऊँगी,

धो-धो क्यों मैली होऊँगी, सब के अनगिन पापों को,
मैं ही क्यों भोगूँगी सब के,    कर्मों को, संतापों को

कुछ तो चलन सुधारो अपनी, कितना और सहूँगी मैं
भले बना दो - - -

रक्त सने हैं हाथ तुम्हारें,      औ मीठी बतियाते हो,
लायेंगे इक नया सवेरा,        कसमें झूठी खाते हो,

हथियारों की फसल उगाते, मर्यादा का ध्यान नहीं
नारी पर है गिद्ध दृष्टि क्यों, करते हो सम्मान नहीं

सौदागर हो तुम अबला के, कीचक तुम्हें कहूँगी मैं

भले बना दो - - - - -
मुझको गंगा कहने वालों- - - -- - !!

                   🙏  *सुरेश पैगवार*  🙏
                                जाँजगीर

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