माना पहले व्यापारी था
~~~~~🌹 *सजल* 🌹~~~~~
समांत- आरी
पदांत- है
मात्राभार- 30
मात्रा पतन- *
माना पहले व्यापारी था, अब तो वह पटवारी है
चिंता की अब बात नहीं, हर चीज यहाँ सरकारी है
कैसे होगी चोरी, कोई करता क्यों विश्वास नहीं
चप्पे-चप्पे में देखो चोरों की पहरेदारी है
जो होता है वो होने दो, तुम भी चुप तो मैं भी चुप
तेरी भी लाचारी है तो, मेरी भी लाचारी है
व्यर्थ बात में क्यों फँसता है, अब काहे का रोना है
माना कड़वी घूंट है* लेकिन,दवा बहुत गुणकारी है
लगता तुमको सोते होंगे, नर्म -नर्म इन गद्दों पर
दोधारी तलवार यहाँ, शेरों की यहाँ सवारी है
शेर कि चीते कुत्ते बिल्ली, चाहे जिससे है यारी
यमपुर के रस्ते से बचने में भारी दुश्वारी है
खाते हैं वे खूब मुनाफा, खाद बीज औ पानी में
बोने से लेकर बिकने तक,कदम -कदम व्यापारी है
🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏
जाँजगीर
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