कारी घटा घनघोर



~~~~~ 🌹 *गीत* 🌹~~~~~

कारी घटा घनघोर,
सुहानी मन भावन।।

रिमझिम-रिमझिम, सावन बरसे
बिरहिन का मन, मिलने तरसे
बिजुरी दिखे चहुँ ओर- - - -सुहानी - - - 

ताल तलैया, भर-भर जावैं
दादुर टर्-टर् शोर मचावैं,
धरती है सराबोर - - - सुहानी  - - - -

ढोलक झाँझ मँजीरा बाजे
मोरा मनुवा झूमें नाचे
वन बीच नाचै मोर - - - - - - -- सुहानी - - - - -

एकाकी मन पल-पल तरसे
मन खाली है कैसे  हरसे
बँधे मेरा भी  डोर  - - - सुहानी  - - 

 कारी घटा घनघोर  - - - -!!

                  🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏
                            जाँजगीर

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