गीत जो थे साथ अपने

                    गीतिका छंद में 
                     मानक  गीत 

जो कभी थे साथ अपने, आज छलते जा रहे
दीप हो कर, कर अँधेरा, खुद उजलते जा रहे - -

तोड़ कर वो आज रिश्ता, छोड़ चलते जा रहे
इस जहाँ से किस जहाँ में, वो पिघलते जा रहे
रोक कर पूछो कि कैसे,    हम रहें उनके बिना
छोड़ कर किसके सहारे,    रोज ढलते जा रहे - - -
जो कभी - - - - - - - - - - ,

आज की  बेला यहीं पर,  हो सके तो  रोक लो
हे विधाता आज अपने, जल जले को रोक लो
वो समय धीरे चलो रे,       आहटें पहचान कर
तोड़ कर रिश्ता हमीं से,     वो बदलते जा रहे - - -
जो यहाँ - - - - -  - - - - - -,

कुछ नहीं सीखा अभी मैं,  कुछ नहीं जाना अभी
कुछ न पाया इस जहाँ से, कुछ नहीं  ठाना अभी
कोशिशें बस कर रहा हूँ,        गा सकूँ संगीत पर
क्यों न जाने छोड़ मुझको ,   साज छलते जा रहे
जो कभी- - - - - - - - - - - -,

                सुरेश पैगवार
                   जाँजगीर
              09/01/2019

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