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Showing posts from January, 2021

अनुभव के मोती चुनने से, अक्षर-अक्षर शुद्ध हुआ

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~~~~~~🌹 *सजल* 🌹~~~~~~ अनुभव के मोती चुनने से,    अक्षर-अक्षर शुद्ध हुआ तब जा कर ही यह मन पावन,तन गंगा परिशुद्ध हुआ मान प्रतिष्ठा वैभव अपनी,     चाह कहाँ थी रही कभी आजीवन उपकार किया तब ही यह जीवन बुद्ध हुआ। सदियों सदियाँ बीत गईं तब ही मानव यह जान सका आत्म बोध की खातिर ही तो, सदा  धर्म का युद्ध हुआ। क्रोध ,लोभ ,छल ,तृष्णा की  तो चाह नहीं थी हमें कभी  अब तक हम यह समझ न पाए ईश्वर कैसे क्रुद्ध हुआ। मात तिमिर को देकर के धरणी में सदा उजास किया तब जाकर के मनुज का यहाँ सभी मार्ग अनिरुद्ध हुआ।।                   🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                              जाँजगीर

जीने कब देतीं हैं मुझको

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जीने कब देतीं हैं मुझको,      भीड़ भरी तनहाइयाँ साथ यहाँ परछाई मेरी          और वहाँ परछाइयाँ उथली-उथली बात करें सब,    कोई* गहरी बात नहीं इतनी गहरी नदिया हैं तो,         नापें क्या गहराइयाँ उड़ने को अकुलाईं हैं       भौंरों की* कैसे गूंज सुनें, मादक मोहक चटक रँगीली,  शहरी सारी तितलियाँ जितनी दरकीं हैं* दीवारें,        उनका बंदोबस्त करें    वहाँ पे* रोशन दान लगा दो, और लगा दो खिड़कियाँ औषधि केवल वही कारगर,सहज सरल जो*मिल जाये  सदा घरेलू वैद्य रहे,          दादा दादी औ नानियाँ।।                            🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                                       जाँजगीर

धैर्य, शौर्य का रहे मिलन तो बात बने

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धैर्य ,शौर्य का रहे मिलन  तो बात बने खूब सुरक्षित हों जन जन तो बात बने देश हमारा मरकर        पुण्य कमायेंगे हो न्यौछावर अब तन मन तो बात बने यह धरती हो हितकर सबको आजीवन महके पग -पग पर।  उपवन तो बात बने बदल जाय तस्वीर धरा की वो करना ठूँठ को मिले नवजीवन   तो बात बने वसुंधरा की गोद     हरित हो बैरन मास मरुथल में हो यदि सावन   तो बात बने विश्व पटल पर मातृ भूमि का हो यशगान  बच्चे हों अपने  सरवन         तो बात बने                      🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                                जाँजगीर

मुझको भी दर्द की दवा दे दो

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मुझको भी दर्द की   दवा दे दो  चैन मिल जाय वो    हवा दे दो   सह लूँगा मैं  इन   पीड़ाओं को  थोड़ा रस सोम कि महवा दे दो   मैं तो  हर चीज   पचा ही लूँगा  मुझको मीठा या   कड़वा दे दो  जल गया शरीर   धूप से तपकर कुछ तो ओले     या  पुरवा  दे दो चलता है देश सुन लो   सुमता में हक कोई नहीं कि    बलवा दे दो                  🙏 *सुरेश पैगवार*  🙏                            जाँजगीर

जीने कहाँ देती है मुझको सजल

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जीने कब देतीं हैं मुझको,      भीड़ भरी तनहाइयाँ साथ यहाँ परछाई मेरी और वहाँ परछाइयाँ उथली-उथली बात करें सब,    कोई* गहरी बात नहीं इतनी गहरी नदिया हैं तो,         नापें क्या गहराइयाँ उड़ने को अकुलाईं हैं भौंरों की* कैसे गूंज सुनें, मादक मोहक चटक रँगीली,शहरी सारी तितलियाँ जितनी दरकीं हैं* दीवारें, उनका बंदोबस्त करें   वहाँ पे* रोशन दान लगा दो, और लगा दो खिड़कियाँ औषधि केवल वही कारगर, सहज सरल जो*मिल जाये सदा घरेलू वैद्य रहे,    दादा दादी औ नानियाँ।।            🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏                        जाँजगीर

जीवन परिचय सुरेश पैगवार

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                        💝 जीवन परिचय 💝 नाम👉 सुरेश पैगवार पिता👉 श्री भागीरथी पैगवार माता👉स्व. श्रीमती श्याम देवी पैगवार पत्नी👉श्रीमती भावना पैगवार शिक्षा👉बी.एस.सी.,एम. ए. (हिंदी साहित्य), डी.पी.एच., बी.एल.एस., ए.एल.एस., टी.ओ.टी. विद्या👉 गीत, सजल, व्यंग्य तथा छंद बद्ध रचना (छत्तीसगढ़ी एवं हिंदी में समान रूप से) राष्ट्रीय स्तर के लेखक कवियों के साथ अनेकों साझा संकलन। संस्थाओं से संबद्ध 👉अध्यक्ष- राष्ट्रीय कवि संगम जिला- जाँजगीर चाम्पा, संयोजक- शील साहित्य परिषद जाँजगीर, सदस्य- हिंदी सजल सर्जना समिति, मथुरा सचिव- छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद, जिला- जाँजगीर चाम्पा, साधक- "छंद के छ" परिवार छत्तीसगढ़। सम्मान 👉 साहित्य सम्मान छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस-2017, साहित्य साधक सम्मान तिरोड़ी (म.प्र.), साहित्य साधक रत्न सम्मान, मंचमणि सम्मान, साहित्य रत्न सम्मान आदि। प्रसारण👉आकाशवाणी एवं विभिन्न टीवी चैनलों में समय समय पर। संप्रति👉 केंद्रीय रेल्वे में सेवारत, पता👉 नगरपालिका कार्यालय के पास शारदा चौक - ...