अनुभव के मोती चुनने से, अक्षर-अक्षर शुद्ध हुआ

~~~~~~🌹 *सजल* 🌹~~~~~~ अनुभव के मोती चुनने से, अक्षर-अक्षर शुद्ध हुआ तब जा कर ही यह मन पावन,तन गंगा परिशुद्ध हुआ मान प्रतिष्ठा वैभव अपनी, चाह कहाँ थी रही कभी आजीवन उपकार किया तब ही यह जीवन बुद्ध हुआ। सदियों सदियाँ बीत गईं तब ही मानव यह जान सका आत्म बोध की खातिर ही तो, सदा धर्म का युद्ध हुआ। क्रोध ,लोभ ,छल ,तृष्णा की तो चाह नहीं थी हमें कभी अब तक हम यह समझ न पाए ईश्वर कैसे क्रुद्ध हुआ। मात तिमिर को देकर के धरणी में सदा उजास किया तब जाकर के मनुज का यहाँ सभी मार्ग अनिरुद्ध हुआ।। 🙏 *सुरेश पैगवार* 🙏 जाँजगीर